Saturday, January 30, 2010

एक भारत नेक भारत...

सोच के बड़ा अजीब सा लगता है की देश की राजनीती बिलकुल ही खोखलेपन की तरफ जा रही है। खास तौर पर अगर हम महाराष्ट्र के राजनीतिक माहौल की बात करे तो इस समय प्रदेश की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियाँ मराठी वोट बैंक को अपनी तरफ रखने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। लेकिन लगभग सभी ही दलों की सोच मराठी मानुष की भलाई के बजाये उनकी परेशानियों को किसी न किसी तरह बढ़ने की है।

इस समय जब देश को पूरी तरह एक जुट रहने की जरूरत है तो राज ठाकरे और शिव सेना के लोग देश तोड़ने की पूरी कोशिश कर रहे है। राज ठाकरे जिसको शिवसेना का विकल्प बनना है और जिसका कोई अपना हर रोज सड़क पर होने वाली डुंडा गर्दी में ना ही चोट खाता है, और ना ही जेल नहीं जाता है ; उसको कोई फर्क नहीं पड़ता है की मार खाने वाला उत्तर भारतीय है या मराठी या कोई और।

हाँ यह सच है कि मुंबई और महाराष्ट्र की कुछ परेशानिया है, जनसंख्या दबाव के ले कर, लेकिन देश का संविधान किसी को ये अधिकार नहीं देता की आप बल पूर्वक किसी को कोई शहर या प्रदेश छोड़ने को मजबूर करे। भारत एक स्वत्रंत और गड्तंत्र देश है और यहाँ का हर नागरिक कही भी जा कर कम करने को और रहने को स्वतन्त्र है।

किसी देश का मतलब ही यही होता है किस सब मिल कर कम करे और मिल कर आगे बढे। किसी को अगर आगे निकलना है तो अपने को और योग्य बनाये, न की आगे बढ़ने वाले को मर पीट के पीछे घसीटे। लेकिन ये बात राज को नहीं समझ आयेगी क्यों कि उसको आम लोगो के भाईचारे और प्रेम को तोड़ कर ही तो राजनीती करनी है। और वह भी हर कीमत पर और किसी भी कीमत पर।

इन सारे सामाजिक विद्वेष के बीच में भी ये देख के अच्छा लगता है की प्रदेश का आम आदमी अभी भी इस आग से दूर है वरना अब तक देश में ग्राहयुद॒ध शुरू हो चुका होता । कल ही देश के योग गुरु बाबा राम देव ने, उत्तर भारतीयों के ऊपर हो रहे अत्याचारों पर अपना विरोध जताया था और आज "आर एस एस" ने भी कहा है की वो महाराष्ट्र में हो रहे उत्तर भारतीयों पर अत्याचार के विरोध में खड़े होगे और लोगो की सहायता करेगे।

देश के किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा का दायित्व देश और प्रदेश की सरकार पर है लेकिन जिस देश कि सरकार सोती है वहां की प्रजा को जागना और सजग रहना होता है काश महाराज शिवा जी के नाम पर राजनीत करने वाले यह समझ पाए की किसी राष्ट्र की शक्ति उसकी एकता और अखंडता में है न की आपसी विद्वेष में।

जय हिंद ॥ जय भारत ॥ जय महाराष्ट - जिसने शिवाजी जैसा राष्ट्र भक्त भारत देश को दिया....

Sunday, January 10, 2010

महाकुम्भ - हरिद्वार





१२ साल बाद फिर से वो दिन आया है जो भारतीय जन मानस को उनकी आस्था का की जड़ो तक ले जाता है। हाँ हम बात कर रहे है हरिद्वार में शुरू हो रहे सदी के पहले महाकुम्भ की। हम इसको भारतीय संस्क्रती का ओलंपिक भी कह सकते है। ये वही उत्सव है जो हर बार एक नया आयाम स्थापित करता है लोगो के इकठा होने का । पिछली बार ये महाकुम्भ प्रयाग में हुआ था और वहां इकठा होने वाले लोगो की संख्या लगभग ८ करोड़ के आस पास थी , जो की पूरे "Australia" की जनसँख्या से कही जयादा है।
इसमें कोई दो राय नहीं नहीं है, पूरी भारतीय संस्कृति धर्म के धागों में बंधी हुई है। इतनी विविधता दुनिया के किसी भी देश में मिलना मुश्किल है। सारे देश से लोग आज इस पावन मौके पर हरिद्वार पहुचना चाहते होगे लेकिन उनमे से कुछ लोग ही ये सौभाग्य पायेगे।
जो लोग पहले हरिद्वार जा चुके है वो जानते होगे की, कितनी अलोकिक जगह है हरिद्वार। शब्द कम हो जायेगे अगर कोई हरिद्वार और गंगा की महिमा के बारे में बात करे।
हाँ, हम चाहते है की हम आज वहां होते, और हमारी इस इक्छा में धार्मिकता के साथ साथ कही एक दार्शनिक तथ्य भी है.








Thursday, January 7, 2010

Arrest Of A Police Man

कल रात को मुम्बई से एक खबर आयी, मुंबई पुलिस ने एक पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है। ये गिरफ़्तारी २००६ के एक फर्जी मुडभेड के केस में हुई है। यहाँ पर ये बता देना बहुत जरूरी है, ये वही प्रदीप शर्मा है जिन्होंने एक बहुत बड़ी भूमिका अदा करी थी मुंबई से underworld को ख़तम करने में। इनके हिस्से में ११२ से जयादा अपराधियों के खात्मे का शानदार रिकॉर्ड है। प्रदीप शर्मा जी उन बहुत कम पुलिस वालो में से थे जिनका डर अपराधियों के दिलो दिमाग पर था।

प्रदीप शर्मा को २००७ में ही पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया था, जिसको खिलाफ प्रदीप शर्मा पुलिस pannel/कोर्ट में गए थे और जीत हासिल करी थी। इसके बाद भी मुंबई पुलिस ने उनकी बर्खास्तगी कायम रक्खी, और मुंबई हाई कोर्ट में चली गयी। इसके बाद से मुंबई हाई कोर्ट में प्रदीप के खिलाफ केस चल रहा है और वो पुलिस विभाग से बाहर है.

निश्चित तौर पर प्रदीप शर्मा की गिरफ़्तारी उन कुछ दिलेर पुलिस अफसरों का मनोबल तोड़ने वाली साबित होगी जो अपराधियों के खात्मे के लिए सारे "RISK" उठा के देश के लिए कम करते है। काश भारतीय कानून व्यवस्था इतनी तेज और मारक अपराधियों के खिलाफ रहती , तो देश का बहुत भला हो जाता।

मुझे नहीं पता प्रदीप शर्मा के गिरफ़्तारी के पीछे कोई अपराधिक-राजनीतिक सोच भी कम कर रही है क्या !! लेकिन निश्चित है बिना इसके मुंबई पुलिस, प्रदीप को छु भी नहीं सकती थी...

Saturday, January 2, 2010

"गेट वेल सून"

पिछले कई घंटो से सारे न्यूज़ चैनेल वाले एक ख़बर बार बार दिखा रहे है और वो है चेतन भगत और "३ idiots" की टीम के बीच का झगडा। मुझे याद है जब इस फिल्म के बारे में सब से पहली बार पता चला था तो वो कुछ इस तरह से था, की एक पिक्चर बन रही है चेतन भगत की किताब "५ Point Some One" के ऊपर। एक बार इस ख़बर के बाहर आने के बाद सारा हिंदुस्तान इस किताब के ऊपर बन्ने वाली पिक्चर का इंतजार कर रहा था। पिक्चर आई भी और काफी अच्छी तरह से बनायीं भी गई, और लोगो ने इसे अपने सर आँखों पे लिए। क्योकि इस पिक्चर को बहुत ही प्लानिंग के साथ रिलीज़ किया गया, पिक्चर ने कमाई के पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक नई शुरुआत की।
एक गाना इस पिक्चर का "All is well" काफी हिट रहा और लोगो के जीने के लिए एक नई सोच दे गया । लेकिन तभी पता चला की "All is not well", न्यूज़ चैनल वालो ने ख़बर दिखानी शुरू कर दी की विदु विनोद चोपरा और राजू हिरवानी ने चेतन भगत के साथ बेईमानी करते हुए सारा "Credit" खुद और अपनी टीम को दे दिया है। एक लेखक के तौर पर शायद चेतन को यही बात सही नहीं लग रही है। और क्योंकी इस पिक्चर का सारा ताना बना चेतन की किताब के आस पास घूमता है तो किसी हद तक मेरे विचार भी चेतन की सोच से मेल खाते है।

आमिर खान और राजू हिरवानी के पुराने काम को देखते हुए मे उम्मीद करता था वो एक अच्छे लेखक की प्रतिभा का पूरा सम्मान करेगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अभी देखना ये है की चेतन का अगला कदम क्या होगा, क्या वो कोर्ट को जायेगे या अपना विरोध यही पे ख़तम कर देगे। जो भी हो हम राजू को उनकी पिछले फिलम का मेसेज देना चाहेगे, भाई दूसरो की चीजो पे नज़र मरना छोड़ दो और "Get Well Soon...."