इस हफ्ते पटियाला कोर्ट ने इंजिनियर सत्येन्द्र दुबे हत्या मामले में तीन आरोपियों को आजन्म कारावास की सजा सुनाई है. भले ही सुनने में लग रहा हो की सभी दोषियों को सजा हुई है लेकिन सच कही इससे परे है... मै किसी और विस्तार में जाने के पहले सबसे पहले बताना चाहूगा कि यह केस क्या था.
सत्येन्द्र दुबे जी "आई आई टी" कानपुर से पास एक बड़े ही होनहार इंजीनिअर थे. इन्होने कॉलेज से निकल कर "National Highways Authority of India - NHAI" ज्वाइन किया था. यह वो इन्सान थे जिन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की सजा अपनी मौत दे कर चुकानी पड़ी. सत्येन्द्र जी ने NHAI में फैले आकंठ भ्रष्टाचार को उजागर करना चाह था. वह अपने "NHAI" में नौकरी के दौरान हमेशा ईमानदारी के लिए लड़ते रहे.
वाकया गया जिले का है जब वो "NHAI" में "Project Director" के तौर पर कम कर रहे थे, इन्होने "NHAI" में फैले उच्च स्तरीय भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई. जब सत्येन्द्र जी से कुछ न बन पड़ा तो इन्होने तत्कालीन प्रधान मंत्री जी जो पत्र लिख कर इस भ्रष्टाचार को उजागर किया. शायद उनके ईमानदारी के लिए लड़ने के इस जज्बे को आज का ताकतवर भ्रष्ट तंत्र स्वीकार नहीं कर पाया.
27 November 2003 को, गया सर्किट हाउस के सामने सत्येन्द्र जी की गोली मर कर हत्या कर दी गई. यह एक बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा थी. भ्रष्ट नेता और अधिकारी नहीं चाहते थे की सत्येन्द्र उनकी बेईमानी की कमाई में राह का रोड़ा बने. यहाँ पुलिस और सी बी आई का रवैया गौर करने वाला रहा, उन्होंने इस साजिश को एक लूटपाट की घटना की तरह लिया. सी बी आई ने तीन लोगो के खिलाफ चार्ज-शीट दायर करी इन लोगो ने बड़े और ताकतवर लोगो के कहने पर सत्येन्द्र जी की हत्या करी थी. वह सभी लोग साफ साफ बच गए जिनका दिमाग था इस साजिश के पीछे. वह लोग जिनके आँख की किरकरी थी सत्येन्द्र जी की ईमानदारी और जिन्होंने भाड़े के हत्यारों को खरीद कर सत्येन्द्र जी की हत्या करवाई.
ये लोग आज भी कानून की पहुच से दूर पूरी बेईमानी से अपना कम कर रहे है. यह सब तब हो रहा है जब इस केस में प्रधानमंत्री जी का सीधा दखल था और देश की सर्वोच्य खोजी संस्था से बी आई इस कांड की खोजबीन कर रही थी. इन सब बातो से ही अंदाजा लगाया जा सकता है की हत्यारे कितने पहुच वाले और ताकतवर है.
दुर्भाग्य है, की आज कल देश के सारे न्यूज़ चैनल फ़िल्मी सितारों और आई पी एल की तो पल पल की खबर देते है लेकिन सच और ईमानदारी के लिए शहादत देने वालो की कोई खबर उनके समाचारों का हिस्सा नहीं बन पाती है...
Saturday, March 27, 2010
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1 comment:
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